उज्जैन में ही है सर्वोपरि कालसर्प दोष निवारण पूजा
अगर हम बात करे भारतीय के वैदिक ज्योतिषशास्त्र की उस में कालसर्प दोष का कही भी उल्लेख नहीं मिलता है। परन्तु पौराणिक कथाओ और आधुनिक ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों द्वारा सतत खोज के बाद सर्प दोष के योग के प्रभाव से काल सर्प दोष का होना पाया गया और यही नामकारण कर उसे इस जन-जीवन ज्योतिषशास्त्र में एक मुख्य स्थान दे कर उसे एक भय-भीत दोष बतलाया। फिर भी सभी विद्वानों की राय इस बारे में एक जैसी नहीं है।
आधुनिक ज्योतिष के विद्वानों का मानना है कि राहू का अधिदेवता काल है तथा केतु का अधिदेवता सर्प है। अगर कुंडली में इन दोनों ग्रहों के बीच में एक तरफ सभी ग्रह हो तो इस स्थिति को कालसर्प दोष कहते है। काल सर्प दोष कि पूजा सबसे पहले जातक अपनी जन्म कुंडली यानी जन्म पत्रिका द्वारा किसी सुयोग्य ज्योतिषीय विद्वान को दिखाये ताकि वह ज्योतिषी यह मालूम कर सके कि उसमें क्या वास्तव में काल सर्प दोष है और उसे किस तरह की पूजा करवाई जानी चाहिए इसका भलि- भाँति पता लग सके।
उसके बाद ही तीर्थ नगरी में, काल सर्प दोष निवारण पूजा उज्जैन में आकर पूजा कराई जानी चाहिए। क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार उज्जैन जो कि नागों की तपोस्थली मानी जाती है। इस लिए उज्जैन में काल सर्प दोष का निवारण अद्भुद माना गया है। आज बात करते हैं उज्जैन में काल सर्प दोष के निवारण के मुख्य श्रोत की ? अर्थात क्यों यही स्थान सर्वथा उपयुक्त है।
उज्जैन है काल सर्प दोष का निवारण प्रमुख स्थान
भारत वर्ष ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में उज्जैन नगरी को महाकालेश्वर व नागस्थली के रूप में सर्वोपरि एवं प्रमुख स्थान दिया है और उज्जैन को नागस्थली मुख्य स्थान मिलने का गौरव प्राप्त हुआ। इसीलिए यहां की गई कोई भी पूजन जैसे महामृत्युंजय जाप, पितृ पूजन, ग्रह शांति, कालसर्प दोष निवारण पूजा, तथा सभी समस्त धार्मिक अनुष्ठान आदि करने से शिव परिवार की कृपा के साथ ही अन्य देवी-देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। परन्तु धार्मिक ग्रंथों के अनुसार उज्जैन में काल सर्प दोष केनिवारण को सर्वोपरि माना गया है।
अवंतिका खंड में भैरव तीर्थ का तथा नागतीर्थ का भी उल्लेख है कि राजा जन्मेजय के नागों के महा विनाश के लिए नाग सत्र यानि नाग महा यज्ञ का आयोजन रखा व उसके बाद जरकतारू पुत्र आस्तिक मुनि के द्वारा नाग सत्र महाविनाशी यज्ञ को रोका गया था और उनका स्थान परिवर्तित किया गया था। उसमें महाकाल वन यानि उज्जैन में स्थान दिया गया यह भी एक कारण है कि यहां की गई काल सर्प की पूजा सदैव सफल और फल दायी साबित होती है। वैसे देखा जाय कालसर्प दोष अशुभ ही नहीं शुभफल दायी भी साबित होता है।
भारत वर्ष में ही नहीं अपितु सपूर्ण विश्व में जितने भी उधोग पति या बड़े राज नेताओं की जन्मकुंडली देखा जाय तो उनकी जन्मकुंडली में काल सर्प दोष अवश्य ही मिलेगा परन्तु फिर भी ज्योतिष शास्त्र पर विश्वास रखने वाले जातक विश्व भर से भारत वर्ष के मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन में काल सर्प दोष के निवारण के लिए आते है। क्योकि उज्जैन नागों का प्राचीन काल से ही शरण स्थली रहा है। इसलिए यहां नाग पूजा की मान्यता शास्त्रों में वर्णित है।
संपूर्ण भारत में उत्तर तथा दक्षिण के तीर्थों स्थलों में विशेष स्थान माना गया है क्योंकि राहू एवं केतु का स्थान वैज्ञानिक तथा धार्मिक दृष्टिकोण से इस स्थान में दिखाई देता है। इसलिए महाकाल की नगरी उज्जैन में यदि कोई भी भक्त विधि विधान से काल सर्प निवारण या अन्य दोषों के निवारण की पूजा अथवा अनुष्ठान करता है तो वह अपनी हर मनोकामना पूर्ण कर एक सुखी जीवन यापन करता है।
kaal sarp dosh puja in ujjain | kaal sarp dosh puja ujjain | kaal sarp dosh nivaran in ujjain | kaal sarp yog nivaran in ujjain | kaal sarp dosh nivaran puja ujjain | mangal yog nivaran puja Ujjain | mangal dosh nivaran puja ujjain
Comments
Post a Comment